युद्ध से कभी भी शांति नहीं आ सकती है: महामंडलेश्वर कमल किशोर महराज
– अखिल भारतीय साधु-संत महासम्मेलन का शुभारंभ
– देशभर से 300 से अधिक साधु संत और महात्मा पहुंचे भाग लेने
आबू रोड। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के आनंद सरोवर परिसर के दिव्य अनुभूति हॉल में चार दिवसीय अखिल भारतीय साधु-संत महासम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। परमपिता परमात्मा शिव अब पुनः प्रजापिता ब्रह्मा के माध्यम से गीता ज्ञानसुना रहे हैं विषय पर आयोजित इस महासम्मेलन में
देशभर से 300 से अधिक साधु संत और महात्मा भाग लेने पहुंचे हैं।
शुभारंभ पर उप्र के सहारनपुर से आए महामंडलेश्वर आचार्य संत कमल किशोर महाराज ने कहा कि परमात्मा एक शक्ति है, परमात्मा एक ऊर्जा है। वह जब इस धरती पर आए तो ब्रह्मा तन का आधार लेकर सृजन का कार्य किया। जो सृजन करता है उसे ब्रह्मा कहा जाता है।
युद्ध से कभी भी शांति नहीं आ सकती है – उन्होंने कहा कि मैंने ब्रह्माकुमारीज़ में सीखा है कि यहां कुछ त्यागना है तो बुराई को त्याग कर जाओ। मैं यहां पहली बार 1995 में आया था। एक दान पेटी रखी थी, लिखा था कोई बुराई का दान करो। मैंने क्रोध लिख कर डाल दिया, तब से आज तक कभी क्रोध नहीं किया है। गीता में लिखा है कि जो सुख दुख, लाभ हानि, यश अपयश में सब में सम अवस्था में रहता है वह संत होता है। भारत में तीन करोड़ से अधिक भगवाधारी हैं। ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारी श्वेत वस्त्रों में संत हैं। प्रेम क्या होता है वह ब्रह्माकुमारी आश्रम में आकर सीख सकते हैं। युद्ध से कभी भी शांति नहीं आ सकती है।
ॐ शांति सनातन धर्म का आधार है –
मथुरा से आए महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानंद महाराज ने कहा कि ॐ शांति सनातन धर्म का आधार है। ॐ अर्थात परमात्मा। ॐ ही उस परमात्मा का प्रथम नाम है। ज्ञान और भक्ति का उद्देश्य आनंद की प्राप्ति है। संसार में ऐसा कोई प्राणी नहीं है जो आनंद नहीं चाहता हो। उस परमात्मा का स्वरूप भी सत चित आनंद स्वरूप है। शांति परमात्मा की शक्ति का नाम है।
सबसे पहले खुद को जानना होगा –
रुड़की से आए महामंडलेश्वर स्वामी दिनेशानन्द भारती महाराज ने कहा कि जन्म और मृत्यु के बीच जो है वह जीवन है। यही ब्रह्माकुमारी में सिखाया जाता है कि मैं कौन हूं। ब्रह्मा बाबा ने यही संदेश दिया कि हम सभी आत्माएं हैं। सबसे पहले हमें खुद को जानना होगा। ईश्वर से मिलने के बाद हमारी खोज पूरी हो जाती है।
यहां आकर जीवन बदल जाता है –
हरिद्वार से आए महामंडलेश्वर स्वामी अखलानन्द अक्रिय महाराज ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्थान के जो सानिध्य और संपर्क में आता है तो उसका जीवन पूरी तरह बदल जाता है। व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आ जाती है। हमारा सनातन धर्म प्रश्न और उत्तर को लेकर है। जब तक जीवन में प्रश्न नहीं होगा तो समाधान नहीं मिल सकता है। शांति से ही दुनिया में रामराज्य आ सकता है।
आज सनातन धर्म बिखरा हुआ है –
ऋषिकेश से आए महामंडलेश्वर स्वामी स्वतन्त्रानन्द गिरी ने कहा कि परमात्मा को जानने के लिए पहले स्वयं को खाली करना पड़ेगा, तभी परमात्मा को जान सकते हैं। जो महापुरुष अहंकार से मुक्त हो जाते हैं वह दिव्यता को प्राप्त करते हैं। इतने संत महात्मा होने के बाद भी सनातन धर्म कितना बिखरा हुआ है। हम सभी को एक होना पड़ेगा। ब्रह्माकुमारी ऐसी संस्था है जहां किसी से कोई धर्म, संप्रदाय, जाति नहीं पूछी जाती है। ये बहने आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से लोगों को आपस में जोड़ रहीं हैं। लोगों को प्रेम बांट रहीं हैं।
पवित्रता के बल से ही आएगा रामराज्य –
महासचिव राजयोगी बीके बृजमोहन भाई ने कहा कि भागवत गीता में वर्णित पवित्रता के बल से ही दुनिया में परिवर्तन आएगा। अतिरिक्त महासचिव डॉ बीके मृत्युंजय भाई ने कहा कि परमपिता शिव परमात्मा इस धरा पर आकर मानव आत्माओं को सच्चा गीता ज्ञान दे रहे हैं। संस्थान द्वारा राजयोग मेडिटेशन के माध्यम से लोगों का जीवन परिवर्तन किया जा रहा है।
सभी आध्यात्मिक सत्ताओं को आना होगा एक मंच पर –
ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी बीके आशा दीदी ने कहा कि आध्यात्मिक सत्ताओं को मिल कर एक मंच पर आना होना। पवित्रता के बल से ही रामराज्य और नई दुनिया की स्थापना संभव है।
मधुर वाणी ग्रुप के कलाकारों ने स्वागत गीत पेश किया। दिव्य गीत गुजरात के अहमदाबाद की बी.के. डॉ. दामिनी बहन ने प्रस्तुत किया। संचालन बीके वीणा बहन ने किया।