आबू पर्वत ( ज्ञान सरोवर ) १२ मई २०१८. आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था,
”कला और संस्कृति प्रभाग ” के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मलेन का मुख्य विषय था – ” गौरवशाली संस्कृति की ओर कलाकार “ . इस सम्मलेन में भारत वर्ष के विभिन्न प्रदेशों से बड़ी संख्या में प्रतिनिधिओं ने भाग लिया . दीप प्रज्वलित करके इस सम्मेलन
का उद्घाटन सम्पन्न हुआ.
राजयोगिनी नलिनी दीदी ने अपने आशीर्वचन इन शब्दों में प्रकट किये। कहा ” हम सभी अलग अलग विशेषताओं से सम्पन्न लोग हैं। आपने हमारी संस्था की भूरी भूरी प्रशंसा की है। आपको बता दूँ की सारी प्रशंसा उस परमात्मा पिता शिव बाबा की है। उन्होंने ही हमें इस काबिल बनाया है। वह सबसे बड़ा कलाकार है। उसने हम सभी को ज्ञान से संवारा है और राजयोग सिखा कर हमको गुणवान बनाया है। हमको जीवन जीने की कला सिखलाई है। जीवन जीने की कला का अर्थ है सभी को प्यार करना – गिरे हुए लोगों को ऊपर उठाना – सभी को सहयोग करना। परमात्मा के मार्ग दर्शन में हम श्रेष्ठ कर्म करते हैं और गलतियां करने से बचे रहते हैं। राजयोग के अभ्यास से सभी कलाकार ऐसा कर सकेंगे। अतः मैं अनुरोध करूंगी की आप भी राजयोग का अभ्यास जरूर सीखें।
कला और संस्कृति प्रभाग की निहा बहन (गामदेवी , मुंबई )ने आज पधारे हुए सभी अतिथिओं का स्वागत किया और सभी को महान भाग्यशाली बताया। जब भारत दैवी कला और संस्कृति से सम्पन्न था तब यह सोने की चिड़िया कहा जाता था। मगर आज की स्थिति दीगर है। समाज पता नहीं कहाँ तक रसातल की गर्त में जायेगा ? निराशा का माहौल तो है मगर हर कलाकार इतना बलशाली है की ऐसे समाज को फिर से आदर्श बना सकता है।
एक बार कलाकारों को अपनी संकल्प की शक्ति को आत्मा बल से युक्त करने की कला आ जानी चाहिए। यहां राजयोग के अभ्यास से हम अनेक वर्षों से ऐसा ही कर रहे हैं। थोड़े से प्रयत्न से राजयोगी बन कर हम देश और काल का कल्याण कर सकेंगे।
निफा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह पन्नू ने आज के अवसर पर कहा की हम सभी कलाकारों को समझना होगा की आज की और हमारी प्राचीन संस्कृति में कितना फ़र्क़ आ गया है और इस गैप को हम कैसे भर सकेंगे ?
हमारे प्राचीन कलाकार मात्र साधक नहीं बल्कि एक ऋषि भी थे, एक आध्यात्मिक सत्ता भी थे। बंकिम चंद्र चटर्जी का आध्यात्म और क्रांतिकारिता देशभक्ति ने अंग्रेजी साम्राज्य के नीव हिला कर रख दी थी। भगत सिंह, बिस्मिल,रबिन्द्र नाथ टैगोर आदि सभी मात्र कलाकार ही नहीं थे बल्कि संत भी थे। अब आपको यह तय करना है की आप कौन से कलाकार बनना चाहते हैं ? देश का निर्माण करने वाला अथवा इसका विनाश करने वाला ?
सुरेश रामबरन जी मॉरिशस ने आज के अवसर पर अपने उदगार रखे। सर शिवसागर राम गुलाम , मॉरिशस के प्रथम प्रधानमंत्री के सचिव भाई सुरेश रामबरन जी सांस्कृतिक मसलों को लेकर दुनिया भर में सक्रिय हैं। आपने अपने उदगार में सबसे पहले यह कहा की प्यार भी रुला देता है। आपके प्यार ने मुझे रुलाया है। आपने यह सम्मान मुझे दिया है। यह प्रभु का निवास है। प्रभु का प्यार यहां बरस रहा है। प्रभु के प्यार से हमें शक्ति प्राप्त हो रही है। हम सभी मूल्यों , पर्यावरण , और समाज कल्याण का कार्य करते रहते हैं। मॉरिशस में ब्रह्मा कुमारियाँ अनेक कल्याण कारी कार्य करती रहती हैं और हम उनको अपना सहयोग देते हैं।
राजयोगी मृत्युंजय , कार्यकारी सचिव , ब्रह्मा कुमारिस ने आज के अवसर पर कहा कि पधारे हुए सभी अतिथिओं ने काफी प्रेरक बातें कही हैं। हम सभी को काफी सुन्दर प्रेरणा प्राप्त हुई है। चाहे कोई भी कला हो – वह भविष्य को सुन्दर बनाता है। कला वह है जो समाज को हिंसा से मुक्त करे। आज की कला में थोड़ी गन्दगी आयी है – उसको सुधारना जरूरी है। तब कला की शक्ति से हमारा संसार सुन्दर बनेगा।
मुख्य अतिथि डॉक्टर संदीप मरवाहा , नॉएडा फिल्म सिटी के संस्थापक ने आज के अवसर पर अपनी बातें रखीं। आपने कहा की आपकी भावनाएं और आपकी सोच संसार में सबसे सुन्दर है। अगर सुन्दर नहीं है तो ईश्वर की आशीष से वह सुन्दर बन जाये – ऐसी प्रार्थना हमको करनी है. यहाँ हर पल सीखने को मिल रहा है। श्वांस में भी कुछ नया जा रहा है – ऐसी महसूसता सी हो रही है। मुझे लग रहा है की कम समय में ही मैं ज्ञानी हो गया हूँ – फिर यहां जो लोग हमेशा से रह रहे हैं – उनके बारे में क्या कहूँ ??
संस्कार निर्माण के लिए विगत ३० वर्षों में मेरे पिता ने मुझे उतना नहीं सिखाया जितना की इन १२ घंटों में सीख कर जा रहा हूँ। ऐसा अद्भुत जगह मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा। विधाता ने यहां अपनी सारी शक्तियां मनुष्यों को दे दी हैं। और ये सभी विश्व का निर्माण करने में लगे हुए हैं।
विशिष्ट अतिथि बहन शशि शर्मा ने कहा की मेरे मन में अनेक सवाल थे। मगर मुझे लग रहा है की मुझे कोई पर लग गए हैं और मैं उड़ रही हूँ। पता नहीं इतनी ऊर्जा कहाँ से आ गयी है ?? यहां बाबा ने जो पार्ट हमें दिया है वह तो अद्भुत है। हम सभी को इस मोती की माला में पिरो जाना चाहिए। न जाने कब वह एक रत्न बन जाए !!
राजयोगिनी तृप्ति बहन ने राजयोग का गहन अभ्यास करवाया।
गीतांजलि राव ने संस्थान को धन्यवाद दिया उनको सम्मानित करने के लिए। कहा राजयोग का आनंद उठाने के लिए हम यहां आना ही चाहते हैं। हमें काफी ऊर्जा प्राप्त होती है। हमें ख़ुशी मिलती है।
जरीना वहाव ,सुप्रसिद्ध नायिका ने आज कहा की यहां मुझे काफी अच्छा लगा है। मैं हमेशा मुंबई में ब्रह्मा कुमारिस से जुडी हुई हूँ। मुझे यहां जो शांति मिली है कह नहीं सकती। यहां सकारात्मक ऊर्जा भरी हुई है।
प्रभाकर शेट्टी ने भी अपने उदगार प्रकट किये।