Gurugram ( Haryana ): The Bhorakalan situated Om Shanti Retreat Center of Brahma Kumaris at Gurugram, held a Program for Educators and Working Women. The Chief Guest on this occasion was the Honorable Deputy Chief Minister of Delhi Mr. Manish Sisodia.
Speaking on this occasion, Deputy CM of Delhi Mr. Sisodia said that there needs to be a fundamental shift in the current Education Policy. Incorporating Spiritual Principles will make for a complete education policy. A good education is the basis for a happy and prosperous society. The aim of education should not be just human resource development, but connecting humans with each other. Women have a central role to play in social transformation.
BK Asha, Director of the Om Shanti Retreat Center, said that only that society lives happily which honors its mothers and motherland. Any society is only as developed as its women.
BK Brij Mohan, Secretary General Of Brahma Kumaris, in his remarks said that if we wish to make Bharat the spiritual teacher of the world again, we must respect women. Women Power has a leading role in bringing of the Golden Age.
BK Sister Shivani, Famous Motivational Speaker and recipient of the Nari Shakti Award, while speaking to the audience, said that the fundamental reason for pain in people’s life today is the decline in their emotional status. Improving the quality of food and surroundings can have a huge positive impact on mental well being as well. Moral transformation is a must for social transformation.
Mr. Harichand Aggarwal, Head of Insecticide India Limited, also addressed the gathering. Dr. Savita from Mount Abu made everyone practice Rajyoga Meditation. BK Vidhatri and BK Divya conducted the program. Many university vice chancellors, deans, professors, teachers and working women attended this function.
News in Hindi:
शिक्षा का अर्थ मानव से मानव को जोडऩा होना चाहिए – मनीष सिसोदिया
नारी सशक्तिकरण से ही सामाजिक परिवर्तन संभव
संसार परिवर्तन के लिए संस्कृति एवं संस्कारों का परिवर्तन ज़रूरी
गुरूग्राम: वर्तमान शिक्षा नीति में मौलिक परिवर्तन की आवश्यकता है। आध्यात्मिकता के समावेश से ही एक बेहतर शिक्षा प्रणाली की स्थापना हो सकती है। उक्त विचार दिल्ली के माननीय उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ब्रह्माकुमारीज़ के भोड़ाकलां स्थित ओम् शान्ति रिट्रीट सेन्टर में शिक्षाविदों एवं काम करने वाली महिलाओं के लिए आयोजित दो अलग-अलग कार्यक्रमों को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ समाज के विकास में शिक्षा की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। माननीय उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा का अर्थ केवल मानव संसाधन विकसित करना नहीं अपितु मानव को मानव से जोडऩा होना चाहिए। महिलाओं के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि समाज परिवर्तन के कार्य में महिलाओं की विशेष भूमिका है। उन्होंने कहा कि जीवन की मूल शिक्षाएं तो एक माँ ही अपने बच्चे को बेहतर ढग़ से दे सकती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का पहला पाठ परिवार से ही शुरू होता है और जिसका मूल आधार केवल माँ है।
इस अवसर पर ओ.आर.सी की निदेशिका आशा दीदी ने कहा कि मातृशक्ति और मातृभूमि दोनों ही स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं। इसलिए दोनों का जहाँ सम्मान होता है, वहाँ पर ही देवता रमण करते हैं। उन्होंने कहा कि नारी वास्तव में दया और करूणा की मूरत है। नारी जितनी सशक्त होगी, समाज भी उतना ही शक्तिशाली बनेगा।
ब्रह्माकुमारीज़ के अतिरिक्त सचिव बी.के.बृजमोहन ने अपने उद्बोधन में कहा कि अगर हम चाहते हैं कि भारत फिर से विश्व गुरू बने तो महिलाओं का सम्मान ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के चरित्र की रक्षा करना हम सबका कर्तव्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ विश्व के निर्माण में नारी शक्ति का विशेष योगदान है। उन्होंने कहा कि भारत में सारी नदियों के नाम नारी शांति पर ही रखें गये हैं। जिससे सिद्ध होता है कि नारी शक्ति ही परिवर्तन का सूत्र रही है।
इस अवसर पर विशेष रूप से सुप्रसिद्ध मोटीवेशनल स्पीकर बी.के.शिवानी ने कहा कि वर्तमान समय जीवन में सबसे बड़े दु:ख का कारण भावनात्मक स्वास्थ्य में गिरावट है। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी बातों से मानव भावनात्मक रूप से कमजोर हो रहा है। लेकिन छोटी-छोटी चीज़ों के बदलाव से हम भावनात्मक रूप से मजबूत हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम अपने वातावरण और भोजन को श्रेष्ठ बना लें, तो जीवन सुख-शान्ति से भरने लगेगा। उन्होंने कहा कि अगर हम वातावरण को अच्छा बनाना चाहते हैं तो पहले स्वयं को बदलें। भोजन के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि शुद्ध विचारों एवं प्रभु याद में बनाए गये भोजन से ही मन शान्ति और आनन्द का अनुभव करता है। उन्होंने कहा कि संसार परिवर्तन के लिए संस्कृति का परिवर्तन चाहिए और संस्कृति के परिवर्तन के लिए संस्कारों का परिवर्तन ज़रूरी है।
इस अवसर पर इंसेक्टिसाइड इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष हरिचंद अग्रवाल ने भी अपने विचार रखे। मांउएट आबू से पधारी डा.सविता ने भी कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए सबको राजयोग की जानकारी दी व अनुभव कराया। कार्यक्रम का संचालन बी.के.विधात्री और बी.के.दिव्या ने किया। कार्यक्रम में विश्व-विद्यालयों के कुलपति, प्रोफेसर, डीन, प्राचार्य, प्रवक्ता सहित अनेक कामकाजी महिलाओं ने शिरकत की।