Grand Sant Sammelan in Gyan Mansarovar Panipat HR

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Panipat HR:पानीपत ज्ञान मानसरोवर रिट्रीट सेंटर के दादी चंद्रमणि यूनिवर्सल पीस ऑडिटोरियम में विराट संत सम्मलेन का आयोजन किया गया।  इस संत सम्मेलन में  भिन्न भिन्न  स्थानों से  महामंडलेश्वर एवं  संतों ने भाग लिया।  इस विराट संत सम्मलेन की शोभा बढ़ाने के लिए  मुख्य रूप से  आचार्य महामंडलेश्वर कमल किशोर जी, सहारनपुर,   महामंडलेश्वर स्वामी शिव चैतन्य सरस्वती जी, अंबाला कैंट,   आचार्य परमानंद जी  मध्य प्रदेश,  डॉक्टर प्रकाश मिश्रा,  कुरुक्षेत्र से पधारे। साथ – साथ  राजयोगी रामनाथ भाई जी  धार्मिक विंग के हडक्वार्टर कोऑर्डिनेटर माउंट आबू से  पधारे।  संत सम्मलेन में पानीपत एवं अन्य  शहरों के  800 से अधिक भाई बहनों ने भाग लिए।
सभी  महामंडलेश्वरो को  एवं संतों को  बहनों ने  बैज लगाकर एवं गुलदस्तें देकर सम्मानित किया। राजयोगी रामनाथ भाई जी राजयोगी भ्राता भारत भूषण, राजयोगिनी सरला दीदी एवं सभी  महामंडलेश्वरो एवं संतों ने मिलकर  दीप प्रज्वलन कर इस संत सम्मलेन  का शुभारम्भ किया।
आचार्य महामंडलेश्वर कमल किशोर सहारनपुर ने अपनी शुभकामनायें देते हुए कहा कि धर्म ही हमारी राष्ट्र की नीवं है। धर्म हमें आपस में लड़ना नहीं सिखाता अपितु हमें आपस में प्यार से मिलजुलकर रहना सिखाता है। ब्रह्माकुमारीज़ में मैंने देखा है कैसे उनका सब के लिए रूहानी प्यार है इनके नैनों से चेहरे से परमात्म प्यार की अनुभूति होती है।

महामंडलेश्वर स्वामी शिव चैतन्य सरस्वती जी अंबाला कैंट अपनी  शुभकामनायें देते हुए कहा कि अध्यात्म का अर्थ होता है आत्मा का अधिकारी हो जाना। आज मनुष्य के पास ज्ञान तो बहुत है लेकिन आवश्यकता है उसे जीवन में धारण कर स्वरूप में लेन की।
आचार्य परमानंद जी  मध्य प्रदेश, ने अपनी  शुभकामनायें देते हुए कहा कि गंगा स्नान करने से आत्मा पवन नहीं होती है आत्मा पावन तो परमात्मा की याद से होती है।  परमात्मा पारस की तरह है जब आत्मा परमात्मा के संग में रहती है तो वह भी सच्चा सोना बन जाती है।

राजयोगी रामनाथ भाई जी माउंट आबू अपनी शुभकामनायें देते हुए कहा कि आज का मनुष्यों के दुखो का कारण अज्ञान है सारी दुनिया अज्ञानता की नींद में सोया हुई  है। लेकिन जब मनुष्य स्वयं एवं अपने परमपिता परमात्मा को जान जाते है तो उसके सरे दुःख दर्द समाप्त हो जाते है।

राजयोगी बी. के. भारत भूषण, निर्देशक, ज्ञान मानसरोवर ने कहा कि परमात्म शक्ति का अनुभव करने के लिए पहले आत्मिक शक्ति का अनभुव करना है।  तो स्वयं को  पहचाने, आत्मा का अनुभव करे तब स्वतः परमात्म  शक्ति का अनुभव होगा।

राजयोगिनी बी. के. सरला, सर्कल इंचार्ज , पानीपत  ने परमात्म शक्ति का अनुभव करने के लिए राजयोग का अभ्यास कराया।  बी. के. शिवानी बहन , पानीपत ने कुशल मंच का संचालन किया।  मंच पर डॉक्टर प्रकाश मिश्रा,  कुरुक्षेत्र से एवं बी के सुरेश बहन, बिजनौर उपस्थित रहे।  कार्यक्रम में सभी का धन्यवाद बी के जगपाल, बिजनौर ने किया।

Caption 
1.विराट संत सम्मेलन का दीप प्रज्वलन कर  शुभारम्भ करते हुए आचार्य महामंडलेश्वर कमल किशोर जी,  महामंडलेश्वर स्वामी शिव चैतन्य सरस्वती जी, आचार्य परमानंद जी,  डॉक्टर प्रकाश मिश्रा,  राजयोगी रामनाथ भाई जी,  राजयोगिनी सरला दीदी जी, भ्राता भारत भूषण जी एवं अन्य।
2.विराट संत सम्मेलन में मंच पर उपस्थित आचार्य महामंडलेश्वर कमल किशोर जी,  महामंडलेश्वर स्वामी शिव चैतन्य सरस्वती जी, आचार्य परमानंद जी,डॉक्टर प्रकाश मिश्रा,  राजयोगी रामनाथ भाई जी,  राजयोगिनी सरला दीदी जी, भ्राता भारत भूषण जी एवं अन्य।
3.विराट संत सम्मेलन  में अपनी शुभकामनायें देते हुए  आचार्य महामंडलेश्वर कमल किशोर जी, सहारनपुर।
4.महामंडलेश्वर स्वामी शिव चैतन्य सरस्वती जी, अंबाला कैंट, को तिलक लगते हुए एवं ईश्वरीय सौगात देते हए राजयोगिनी सरला दीदी, राजयोगी रामनाथ भाई जी एवं भ्राता भारत भूषण जी।
5.आचार्य परमानंद जी  मध्य प्रदेश को ईश्वरीय सौगात देते हए राजयोगिनी सरला दीदी, राजयोगी रामनाथ भाई जी एवं भ्राता भारत भूषण जी।
6. डॉक्टर प्रकाश मिश्रा,  कुरुक्षेत्र को ईश्वरीय सौगात देते हए राजयोगिनी सरला दीदी, राजयोगी रामनाथ भाई जी एवं भ्राता भारत भूषण जी।
7.विराट संत सम्मेलन  में अपनी शुभकामनायें देते हुए राजयोगी रामनाथ भाई जी।
8.विराट संत सम्मेलन  में अपनी शुभकामनायें देते हुए राजयोगी भारत भूषण भाई जी।

9.आचार्य महामंडलेश्वर कमल किशोर जी,  साहरनपुर को शॉल उड़ाकर सम्मानित करते हुए भ्राता भारत भूषण जी एवं भ्राता रामनाथ भाई जी।

10. विराट संत सम्मेलन का लाभ  लेते हुए भाई बहने।
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