महिला सेवा प्रभाग द्वारा अखिल भारतीय सम्मेलन
माउंट आबू, ज्ञान सरोवर, 05 जुलाई 2024: ज्ञान सरोवर के हार्मनी हाल में राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन महिला सेवा प्रभाग द्वारा एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ. सम्मेलन का विषय था, विश्व परिवर्तन का आधार सशक्त नारी. सम्मेलन मे इस विषय पर गंभीर चर्चा हुई. इस सम्मेलन में देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संखया में हर वर्ग की महिलाओं ने भाग लिया. दीप प्रज्वलन द्वारा सम्मेलन का शुभ उद्घाटन संपन्न किया गया.
ब्रह्माकुमारीज की संयुक्त मुख्य प्रशासिका तथा ज्ञान सरोवर परिसर की निर्देशक राजयोगिनी सुदेश दीदी ने बताया कि महिला और पुरुष के बीच होने वाले किसी भी तथाकथित होड़ को छोड़कर जीवन को मोड़ना है. इन दिनों दुनिया भर में महिलाओं को हीन समझने की एक लहर सी चली हुई है. नारियों को पद दलित करने में खुद नारियों का भी बड़ा योगदान है. माताएं जब कन्याओं को जन्म देती है जो की दिव्यता का रूप है, कन्याओं को सम्मान नहीं दिया जाता. कन्या के जन्म पर रोना धोना शुरू होता है. माताएं सामाजिक कुरीतियों से डरकर कन्याओं का अपमान और बहिष्कार शुरू कर देती है. सच्चाई तो यही है की कन्याएं जीवन देने वाली जीवन दायिनी हैं. नारियों को अपना स्वमान जगाना है. खुद को मानना सीखिए. अपनी क्षमताओं, गुणों को जानिए और महसूस करिए. मैं परमात्मा की संतान शिव शक्ति हूं. मैं ही पूज्य दुर्गा काली जगदंबा सरस्वती हूं. इससे उलट जब वह अपने को साधारण नारी समझती है. नारियां सदैव पुरुषों की तुलना में श्रेष्ठ है क्योंकि नारियां सृजन कर सकती हैं बच्चों को जन्म दे सकती है जो नारियों के अंदर स्वाभाविक रूप से प्रेम दया करुणा त्याग आदि मूल्य भरे पड़े हैं. इन मूल्यों का उदय अपने अंदर करके, स्वयं को सशक्त बनाकर विश्व परिवर्तन की बड़ी भूमिका निभाना है.
ब्रह्मा कुमारीज के अतिरिक्त महासचिव राजयोगी बृजमोहन ने सम्मेलन को अपने आशीर्वचन दिए. आपने वंदे मातरम और भारत माता की जय के उद्घोष से अपना आशीर्वचन प्रारंभ किया. आपने कहा कि एक ऐसा भी समय था संसार में जब सारे विश्व पर विश्व महरजान श्री लक्ष्मी और श्री नारायण का राज्य था. वहां स्त्रियों और पुरुषों के बीच कोई भेद नहीं था. दोनों ही बराबर का स्टेटस रखते थे. इसके हजारों वर्ष के बाद एहसास में आया जब भी है अभियान के कारण देवी देवताओं के जीवन में भी पतन का प्रादुर्भाव हुआ. पुरुष प्रधान समाज का निर्माण हो चुका था. पुरुषों ने नारियों को सेकंड ग्रेड बना दिया. उनको सिर्फ संतान उत्पत्ति और उनके लालन-पालन तक सीमित कर दिया. स्त्रियों के अधिकार छीन लिए. उन्हें पद दलित बनाया. ऐसे माहौल में परमात्मा ने आगमन के पश्चात स्त्रियों के सर पर ही ज्ञान का कलश रखा. सरस्वती माता को ज्ञान की देवी कहते हैं. दर्शन सरस्वती माता विजडम की देवी है. सरस्वती माता की शिक्षाएं सकारात्मकता और श्रेष्ठता से भरी हुई है. दूसरों को धन की देवी इसलिए कहते हैं की लक्ष्मी माता ने हर वस्तु के अंदर उसका मूल्य पहचाना. माता काली शक्ति की अवधार मानी जाती है. उनके अंदर स्वयं पर राज करने की भी शक्ति थी. महिलाएं स्वयं की पहचान करके, अपने आत्म बल को महसूस करके, परमपिता परमात्मा से योग लगाकर, परमपिता परमात्मा के समान सृजन कार होने की अनुभूति करें. माता के बगैर सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. परमपिता परमात्मा भी माता रूप में ही धरा धाम पर पधारे.
केंद्रीय सरकार के सफाई कर्मचारी संघ की उपाध्यक्षा अंजना पवार ने भी विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने विचार रखें. आपने कहा की नारियां पुरुषों से होड़ लगा रही हैं मुझे ऐसा नहीं लगता. नारियों ने पुरुषों को जन्म दिया है, उनसे किसी प्रकार की होड़ का तो प्रश्न ही नहीं है. दुनिया जानती है कि पुरुषों के निर्माण में एक स्त्री की भूमिका सदैव रही है. हम सभी को समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों के कल्याण के लिए भी कुछ करना चाहिए. सफाई कर्मचारी अभाव में जीवन बिताते हैं. उनका आर्थिक और भावनात्मक सहयोग दिया जाना चाहिए.
ब्रह्मा कुमारीज महिला प्रभाग की अध्यक्षा राजयोगिनी चक्रधारी दीदी ने भी अपने विचार रखें. आपने बताया कि महिलाएं ही परिवार की, समाज की, राष्ट्र की और फिर विश्व की धुरी होती हैं. सुखी राष्ट्र और सुखी समाज की पहली शर्त है वहां की महिलाओं का सशक्तिकरण. आज संसार की महिलाएं हर क्षेत्र में आगे-आगे हैं मगर उन्होंने अपनी मौलिकता को दी है. आत्मज्ञान और परमात्मा ज्ञान के अभाव से वह भौतिकवाद की भेंट चढ़ गई है. खुद की पहचान करके और परमपिता परमात्मा से योग लगाकर महिलाएं खुद को सशक्त बनाएं और समाज को श्रेष्ठ बनाएं. महिलाओं के अंदर असीम शक्तियां हैं. थॉमस एडिसन की माता ने अपने आत्म बल से अपने पुत्र को संसार का इतना प्रख्यात वैज्ञानिक बनाया. महिलाओं को चाहिए कि वह अपनी बेटियों के अंदर श्रेष्ठ संस्कारों का सृजन करें.
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉक्टर मनीषा गंधेवार, HOD, ESIC अस्पताल दिल्ली ने भी अपने विचार रखें. आपने बताया कि एक समय उनकी जिंदगी में बहुत सारी चुनौतियां अचानक आई. उनका सामना करना बहुत कठिन लग रहा था. तभी उनकी मुलाकात ब्रह्माकुमारियों से हुई. ईश्वरीय शिक्षाओं को ध्यान से ठीक से समझ कर उन्होंने अपने अंदर असीम बल महसूस किया. उसे बोल के आधार पर वह अपने जीवन को दिशा देने में सफल रही. आपने कहा कि आज की जो बच्चियों हैं प्रेशर में आकर बहुत सारी गलतियां करती है. अगर माताएं अपनी बेटियों को सही समय पर सही संस्कार दें, भावनात्मक रूप से अगर उनकी सही पालना करें, तो लड़कियां अपने आप को दुश्चक्कर में फंसने से बचा सकती हैं. आध्यात्मिक रूप से सभी माता को इस समय से अपने बच्चों को श्रेष्ठ संस्कार देना प्रारंभ करना चाहिए, जब बच्चे माँ के गर्भ में आ जाते हैं.
ब्रह्माकुमारीज युवा प्रभाग की उपाध्यक्षा राजयोगिनी चंद्रिका बहन ने पधारे हुए सभी अतिथियों का हार्दिक आभार प्रकट किया. आपने कहा कि ईश्वर और नारि क्रिएटर हैं. पुरुषों से मुकाबला करने का विचार हीन विचार है. नारियां सदैव से पूज्य रही है. नारियों को अपना आंतरिक बल पहचान कर सृष्टि के निर्माण के कार्य में लग जाना है.
महिला प्रभाव की राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर सविता ने भी अपने विचार रखे और कार्यक्रम का संचालन किया. ब्रह्मा कुमारीज महिला प्रभाग की जोनल हेड, राजयोगिनी माला बहन ने योगाभ्यास करवाया और परम शांति की अनुभूति करवाई. पधारे हुए अतिथियों का धन्यवाद किया.