माउंट आबू। ख्यातनाम मोटिवेशनल अंतर्राष्ट्रीय वक्ता, अवेकनिंग विद् ब्रह्माकुमारीज टीवी फेम बीके शिवानी बहन ने कहा कि कर्मसिद्धांत के ज्ञान, विज्ञान व धर्म को समझने के लिए मन को शुद्ध व शक्तिशाली बनाने की जरूरत है। कर्मों की गूंज अनेक जन्मों तक सूक्ष्म रूप से मन में गूंजती रहती है। कर्म रूपी कलम ही भाग्य का निर्माण करती है। दूसरों के व्यवहार से स्वयं को विचलित नहीं करना चाहिए। यह बात उन्होंने ब्रह्माकुमारी संगठन के ज्ञान सरोवर अकादमी परिसर में भाग्य की कलम आपके हाथ में विषय पर अकादमी के रजत जयंती समारोह में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि कर्म हमारे भाग्य को परिवर्तन करते हैं। भाग्य हम अपनी इच्छा अनुसार ही रचते हैं। हाथों की लकीरों से ही नहीं बल्कि हाथों से श्रेष्ठ कर्मों की रेखा भाग्य को श्रेष्ठ बनाती है। हमारी सोच, हमारे बोल व कर्म का प्रभाव समाज को भी प्रभावित करता है इसलिए हमें अपने मन व बुद्धि रूपी पात्र में शुद्ध व पवित्र संकल्पों का ही भंडारण करना चाहिए। मन-वचन-कर्म से पवित्र संकल्पों के खजाने को कार्य में लगाने से ही सुख-शांति की अनुभूति होती है। परमात्मा हमारे कर्मों में कभी हस्तक्षेप नहीं करता है बल्कि हमें कर्मों का गहराई से स्पष्ट ज्ञान देना है। अच्छे व बुरे कर्म हमारी सेाच पर निर्भर होते हैं।
संस्कारों के अनुसार तय होते हैं रिश्ते
रिश्तों का निर्धारण भी हमारे कर्म करते हैं। लंबे समय से जो भी हम कर्म करते हैं वह कर्म संस्कारों के रूप में आत्मा के अंदर रिकार्ड होते रहते हैं जो धीरे-धीरे हमारी सामान्य आदतों से प्रदर्शित हो लगते हैं। मृत्यु के बाद भी कर्मों का हिसाब-किताब आत्मा में संस्कार के रूप में विद्यमान रहता है, उन्हीं संस्कारों के अनुसार हमारे पारिवारिक व सामाजिक रिश्ते तय होते हैं।
स्वयं के कर्मों पर रखें नजर
शिवानी दीदी ने कहा कि यदि हमें एक कागज के ऊपर अपने बच्चों का भाग्य लिखने को कहा जाये तो अच्छे ते अच्छा भाग्य लिखेंगे। उसी तरह से परमात्मा भी सबको एक समान भाग्य बनाने के लिए श्रेष्ठ कर्मों का रास्ता बताता है। उसके बताये हुए रास्ते पर सही तरीके से चलने के लिए स्वयं के कर्मों पर पैनी नजर रखनी होगी। उससे पहले हमें स्वयं की सोच को भी श्रेष्ठ बनाना होगा।
जैसा कर्म हम करेंगे हमें देख दूसरे करेंगे
जैसा कर्म हम करेंगे हमें देख दूसरे करेंगे इस उक्ति को ध्यान रखते हुए श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। कर्मों से ही मनुष्य पहचाना जाता है। कर्म न केवल हमारे भविष्य का निर्माण करते हैं बल्कि हमारे कर्मों का प्रभाव दूसरों के जीवन को भी प्रभावित करता है। हर मनुष्य की नजर एक-दो के कर्मों पर रहती है। बिना बोले ही हमारे कर्मों से बच्चे, परिवार व समाज बहुत कुछ सीख जाता है।
कोई भी कर्म फल निष्फल नहीं होता
कर्मों का फल कभी निष्फल नहीं जाता। कभी न कभी उसका फल अवश्य मिलता है। हम किसी को गाली दें तो वह हमें थप्पड़ मार देता है। कर्म का फल तुरंत मिल गया। कुछ उल्टा-सीधा खा पी लें तो उसका फल कुछ दिनों या वर्षो बाद शरीर में रोग के रूप में सामने आता है। इसी प्रकार कुछ कर्मों का फल इसी जीवन में मिल जाता है जबकि कुछ का अगले जन्मों में मिलता है।
तनाव मुक्ति को अपनायें राजयोग
तनाव के हम स्वयं ही रचता है। तनाव मुक्ति को मेडिटेशन, मेडिसन का कार्य करता है। स्वास्थ्य को तन्दरूस्त रखने को व्यर्थ की बातों से दूर रहना चाहिए। वर्तमान बढ़ती तनावजन्य परिस्थितियों में मन को हलचल से मुक्त रखने के लिए ब्रह्माकुमारीज की ओर से सिखाए जा रहे राजयोग को अपने जीवन में शामिल करने की अहम जरूरत है। राजयोग से चेतना शक्ति जागृत होने पर मन, बुद्धि, संस्कारों का शुद्धिकरण होने के साथ आत्मा अनेक प्रकार की विकटतम चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो जाती है। अपने मन में ईष्र्या को स्थान देने से तनाव, चिंता, दु:ख आदि व्याधियों का जन्म होता है।
ज्ञान सरोवर निदेशिका डॉ. निर्मला, पुलिस महानिरीक्षक, आंतरिक सुरक्षा कादमी निदेशक के.एस. भंडारी, पुलिस उप महानिरीक्षक राकेश सिंह चौहान, पुलिस अधीक्षक कल्याणमल मीणा, पालिका अध्यक्ष जीतू राणा, होटल ऐसोसिएशन अध्यक्ष सुधीर जैन, एवीएम प्रबंधन समिति सचिव महेश अग्रवाल, केंसर सर्जन डॉ. अशोक मेहता, मीडिया प्रभाग प्रमुख बीके करूणा, शिक्षा प्रभाग अध्यक्ष बीके मृत्युजंय आदि ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
Silver Jubilee Celebrations of Academy for a Better World, Gyan Sarovar, Mount Abu
कर्म करते हैं भाग्य का निर्माण – बीके शिवानी
ज्ञान सरोवर रजत जयंती समारोह