स्टेट प्रेस क्लब, मध्यप्रदेश के साथ सुप्रसिद्ध मोटिवेशनल स्पीकर ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी का हुआ संवाद
शिवानी दीदी ने दिये पत्रकारों के सवालों के जवाब
इंदौर । ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी के इंदौर आगमन पर ज्ञान शिखर, ओमशांति भवन के ब्रह्माकुमार ओमप्रकाश ‘भाईजी’ सभागार में मध्यप्रदेश स्टेट प्रेस क्लब के पत्रकारों के साथ ‘संवाद’ कार्यक्रम आयोजित हुई । कार्यक्रम में मध्यप्रदेश स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, महासचिव नवनीत शुक्ला, नवभारत के समूह संपादक क्रांति चतुर्वेदी, राष्ट्रीय कवि प्रोफेसर राजीव शर्मा, सुप्रसिद्ध साहित्यकार रचना जौहरी, सोनाली यादव, मीना राणा शाह, दिव्य विजयवर्गीय सहित मीडिया के अनेक महानुभाव शामिल हुये। साथ ही इंदौर ज़ोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी, उज्जैन सेवाकेन्द्र प्रभारी, भिलाई सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी आशा दीदी, ब्रह्माकुमारी उषा दीदी व ब्रह्माकुमारी अनिता दीदी आदि उपस्थित रहे । पत्रकार आलोक वाजपेयी ने कार्यक्रम का मंच संचालन किया ।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी ने विशेष युवाओं के लिए सीख देते हुए कहा कि आज का युवा तनाव में जी रहा है। युवाओं की दिनचर्या नियमित, संयमित और अच्छी होना चाहिए। युवाओं को चाहिए कि वे सिर्फ सोशल मीडिया पर लाइक और कमेंट्स के लिए नहीं जिएं, तनाव का यही सबसे बड़ा कारण है। जिस तरह हम रोज मोबाइल की बैटरी चार्ज करते हैं, उसी तरह हमें चाहिए कि शरीर रूपी इस बैटरी (मशीन) की ओर भी ध्यान दें। योग-ध्यान प्राणायाम करें। रात को सोने के आधे घंटे पहले सारे विचारों को थाम दें। हम न सिर्फ सफल होंगे बल्कि बड़े भी बनेंगे।
उन्होंने कहा, आज शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से ज्यादा जरूरी है आध्यात्मिक स्वास्थ्य जो आत्मा को शक्ति प्रदान करता है। ये स्वास्थ्य हमारे संस्कारों से जुड़ा है। ब्रह्ममुहूर्त में उठें तो आधा तनाव जिंदगी का वैसे ही खत्म हो जाएगा। आज अच्छी लाइफस्टाइल का मतलब युवा सिर्फ घूमना, फिरना, होटल में जाना, पार्टी करना, सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा पोस्ट करना ही समझते हैं। ये जीवन नहीं, जीवन का महज एक हिस्सा है। युवाओं को चाहिए कि वे सिर्फ सोशल मीडिया पर लाइक और कमेंट्स के लिए नहीं जिएं, यह तनाव का सबसे बड़ा कारण है।
शिवानी दीदी ने पत्रकारों के कई प्रश्नों के उत्तर भी दिये…
प्रश्न : कई लोगों के जीवन में सब कुछ है, लेकिन नींद गायब है, दवाई की जरूरत पड़ रही, क्यों?
उत्तर : सोने से पहले मन की मशीन की गति को धीमा करने की जरूरत है। सोने के आधे घंटे पहले ऑफिस का काम करना या उसके बारे में सोचना छोड़ दें और सोने से 15 मिनट पहले जो कंटेंट हम ले रहे हैं वो शांत और आध्यात्मिक हो। दिमाग को उत्तेजित करने वाली चीजें सोने के ठीक पहले नहीं देखना चाहिए, क्योंकि दिमाग उन दृश्यों को सोने के बाद भी प्रोसेस करता रहता है।
प्रश्न : बच्चों की परवरिश की चुनौतियों से आज के समय में माता-पिता कैसे निपटें?
उत्तर : बच्चों को आज हम अच्छी लाइफस्टाइल दे रहे हैं, यह अच्छी बात है, लेकिन हर बात पर हम हां कर देते हैं, यही उनके बिगड़ने, जिद्दी होने का बड़ा कारण है। उन्हें ‘न’ सुनने की आदत होनी चाहिए। बच्चों के लिए घर में सुकून और शांत माहौल जरूरी है। मां-पिता का आध्यात्मिक होना जरूरी है। ध्यान करने से घर की हवा शुद्ध होती है, जिससे बच्चे आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ होते हैं।
प्रश्न : सोशल मीडिया पर कंटेंट देख गलत कदम उठाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है, इसे कैसे रोकें?
उत्तर : सोशल मीडिया कंटेंट से प्रभावित होने वालों को देखना चाहिए कि उनका कर्म क्या है और वो उन्हें किस रास्ते पर ले जा रहा है। यदि खाना खराब मन से बनाया है तो वो खाने वाले को बीमार करेगा ही। अगर खाने वाला गलत समय पर या गलत चीज के साथ उसका सेवन कर रहा है तो भी उसका बीमार होना निश्चित है। जो सोशल मीडिया पर जाकर अपने विचार साझा करना चाहते हैं उन्हें ये ध्यान रखना चाहिए कि सोशल मीडिया पर प्रभावित होने वालों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। इसलिए सिर्फ लाइक्स और व्यूज के लिए काम करने की जगह मन में सेवा भाव होना जरूरी है।