Governor & Chief Minister of Chhattisgarh Inaugurated All India Administrators Conference at Shanti Sarovar

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Raipur (CG) : Photo 1: Lighting Lamps to inaugurate the All India Administrators Conference are Justice Gautam Chouradia Ji, Judge C. G. High Court, Hon’ble Chief Minister Mr. Bhupesh Baghel Ji, H. E. Governor Ku. Anusuiya Uikey Ji, B. K. Asha Didi, B. K. Kamla Didi and Others.
 
Photo 2: Hon’ble Chief Minister of Chhattisgarh Mr. Bhupesh Baghel Ji Spaeaking at All India Administrators Conference organised at Shanti Sarovar Raipur.
Photo 3; Sited on Dias are Director Medical Education Dr. Vishnu Dutt Ji, B. K. Avdhesh Didi, Home Secretory (IPS) Mr. Arun Dev Gautam Ji, Judge C. G. High Court Justice Gautam Chouradia Ji, H. E. Governor Ku. Anusuiya Uikey Ji, Hon’ble Chief Minister Mr. Bhupesh Baghel Ji, B. K. Asha Didi, B. K. Kamla Didi, Director IIT Mr. Rajat Muna Ji and Principle Secretory of M.P. Assembly Mr. Avadhesh Pratap Singh Ji.
  • Photo 4: H.E. Governor Ku. Anusuiya Uikey Ji is Honouring B. K. Asha Didi with Shawl and Shrifal.
  • Photo 5: Honourable Justice Gautam Chouradia Ji is Speaking.
  • Photo 6: Small Childrens of Raipur Center are presenting Welcome Dance.
  • Photo 7: B. K. Asha Didi is speaking to the audience.
  • Photo 8 & 9 : The Huge Gathering of Administrators, Executives and Managers.
Hindi News: 
राज्यपाल सुश्री अनुसूईया उइके और मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अखिल भारतीय प्रशासनिक सम्मेलन का किया शुभारम्भ
मन की शान्ति के लिए अपनाना होगा अध्यात्म और ध्यान का रास्ता: श्री भूपेश बघेल मुख्यमंत्री
सफल प्रशासक बनने के लिए मन में करूणा, स्नेह और आदर का भाव जरूरी: राज्यपाल
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा आध्यात्मिकता द्वारा प्रशासन में उत्कृष्टता विषय पर आयोजित किया गया सम्मेलन

ररायपुर, 24 अप्रैल, 2022: राज्यपाल सुश्री अनुसूईया उइके और मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के राजधानी रायपुर स्थित शान्ति सरोवर में प्रशासकों, कार्यपालकों और प्रबन्धकों के लिए आयोजित अखिल भारतीय प्रशासनिक सम्मेलन का दीप प्रज्वलित कर शुभारम्भ किया। यह कार्यक्रम आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर परियोजना के तहत राजयोग एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउण्डेशन के प्रशासक सेवा प्रभाग द्वारा आध्यात्मिकता द्वारा प्रशासन में उत्कृष्टता विषय पर आयोजित किया गया।

राज्यपाल सुश्री अनुसूईया उइके ने अपने सम्बोधन में कहा कि आप तभी  सफल प्रशासक बन पाएंगे जब आपके मन में करूणा, स्नेह और आदर का भाव होगा। लोग आपसे बेझिझक अपनी बात कह पाएंगे उन्हें अपनी समस्या का समाधान मिल सकेगा। इससे लोगों के बीच प्रशासन की स्वीकार्यता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि प्रशासक शासन व्यवस्था की धूरी है। प्रशासक जितना कुशल, उत्तरदायी, कर्मठ और ईमानदार होगा, प्रशासन उतना ही जिम्मेदार और सक्षम बनेगा। यह सामान्य धारणा है कि वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था लोगों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर सका है। लोग व्यवस्था से असन्तुष्ट हैं। इसका प्रमुख कारण प्रशासनिक अधिकारियों में नैतिक और मानवीय मूल्यों का अभाव होना है। प्रशासन को उत्कृष्ट बनाने के लिए नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को प्रशासनिक कार्यप्रणाली का अंग बनाना होगा।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि छत्तीसगढ़ जैसा राज्य पूरे देश में कहीं नहीं देखा। यहाँ के लोगों का जीवन सरलता, सहजता और आत्मियता से भरा हुआ है। राज्यपाल ने प्रशासनिक अधिकारियों से कहा कि वह पूरी निष्ठा, ईमानदारी और पारदर्शिता से काम करें। लोगों की परेशानी, कठिनाई और जरूरतों पर ध्यान दें। प्रशासक की सोच सकारात्मक और सेवाभावना के साथ हो। लोगों की शिकायतों को दूर करना प्रशासनिक अधिकारियों की प्राथमिकता में होनी चाहिए। हम आध्यात्मिकता को जीवन में अपना लें तो देश ही नहीं अपितु संसार की व्यवस्थाएं ठीक हो जाएंगी।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि जीवन के लिए तन और मन का सन्तुलन आवश्यक है। यदि मन सन्तुलित होगा तो हमारे विचारों में उथल-पुथल नहीं होगी। मन शान्त रहेगा तो इससे हमारी कार्यक्षमता बढ़ेगी। जो कि हमारे स्वयं के लिए परिवार और समाज के लिए अच्छा रहेगा। उन्होंने बतलाया कि हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों वर्षों के शोध के बाद मन को साधने के लिए अध्यात्म और ध्यान का रास्ता निकाला था। स्वस्थ तन के लिए हमारी दिनचर्या और आहार का सन्तुलित होना आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम वैश्विक महामारी के दौर से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। संकट के समय में हमारे आहार, विचार और व्यवहार का सन्तुलन जरूरी है। सबसे बड़ी जरूरत मन की शान्ति की है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा देश और दुनिया में शान्ति का प्रचार किया जा रहा है। यदि मन ठीक नहीं तो सब बेकार है। ब्रह्माकुमारी संस्थान के मेडिटेशन रूम में बैठने से ही शान्ति की अनुभूति होती है। आज के दौर में प्रशासकों के लिए आध्यात्मिक सम्मेलन का आयोजन सराहनीय पहल है। उन्होंने आयोजन की सफलता के लिए अपनी शुभकामनाएं भी दी।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति गौतम चौरडिय़ा ने कहा कि हरेक व्यक्ति अपने जीवन का प्रबन्धक, प्रशासक और कार्यपालक है। जीवन में प्रबन्धन का बहुत महत्व है। प्रशासको को आध्यात्मिकता से जुडऩे की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि जहाँ आध्यात्मिकता होती है वहाँ तेरा-मेरा नहीं रहता सभी अपने हो जाते हैं।
गृह सचिव अरूण देव गौतम ने कहा कि प्रशासक के व्यक्तित्व का प्रभाव प्रशासन पर अवश्य पड़ता है। इसलिए प्रशासन में उत्कृष्टता लाने के लिए अध्यात्म जरूरी है। हमारा प्रशासन तंत्र अंगे्रजों से उधार लिया हुआ था। इतने दिनों के बाद यह महसूस होता है कि इसमें अब बदलाव की जरूरत है।
प्रशासक सेवा प्रभाग की अध्यक्ष ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने कहा कि इच्छा शक्ति के बल पर मनुष्य जो चाहे वह कर सकता है। परमात्मा पिता ने महिलाओं को आगे रखकर ब्रह्माकुमारी संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान आज दुनिया के एक सौ सैंतीस देशों में सेवा कर रही है। संयुक्त राष्ट्र में भी यह सदस्य है। यह आध्यात्मिकता से ही सम्भव हो सका। उन्होंने कहा कि लगातार काम करते हुए बीच में मन की शान्ति के लिए मेडिटेशन करें। इससे फिर से एनर्जी आ जाएगी।
इस अवसर पर कानपुर से आए आई.ए.एस. सीताराम मीणा, मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह, आई.आई.टी. भिलाई के डायरेक्टर रजत मूना, संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. विष्णु दत्त, माउण्ट आबू से आए ब्रह्माकुमार हरीश भाई आदि ने भी अपने विचार रखे। इन्दौर जोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने स्वागत भाषण दिया तथा भोपाल जोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी अवधेश दीदी ने योगानुभूति कराई। संचालन पालम विहार सेवाकेन्द्र नई दिल्ली की संचालिका ब्रह्माकुमारी उर्मिल दीदी ने किया। सम्मलेन में बहुत बड़ी संख्या में प्रशासक, कार्यपालक एवं प्रबन्धकगण उपस्थित थे।
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