Abu Road(RJ): In a grand dedication ceremony held in Shantivan amidst great fanfare, more than two hundred and ten Brahma Kumaris joined the divine family of thousands who gathered at Diamond Hall of the Brahma Kumaris Head Quarters.
The ceremony was presided over by Dadi Janki, Chief of the Brahma Kumaris. She, while blessing the new members, exhorted them to always remember that from now onward they belong to the Supreme Father. They must keep all relations with the One*. They must always remain happy and cooperative. It is a day to rejoice as the whole world watches those who have come forward to embrace the Supreme Lord.
BK Nirwair, Secretary General of Brahma Kumaris congratulated the parents of these new members, who are fortunate to contribute such exceptional children to the society. He asked the dedicated Brahma Kumaris to always abide by the words of the Supreme Soul. Program Director BK Munni gave special congratulations and blessings on the occasion.
The ceremony started with colorful and festive dance sequences by child artists from Orissa, Bengal and Mumbai. The newly dedicated Brahma Kumaris were seated prominently on the stage and in the front rows of the hall, attired in bridal finery.
It saw all the prominent personalities of the Brahma Kumaris coming together to welcome the newly dedicated Brahma Kumaris into the divine community. Dadi Ratanmohini, Joint Head of the Brahma Kumaris; BK Mruthyunjayaya, Executive Secretary; BK Karuna, Media Head; Ishu Dadi, Dr. BK Nirmala and BK Chakradhari were present on the stage to bless the ceremony.
Amidst enthralling music and celebrations, the Brahma Kumaris took a pledge to dedicate themselves fully into the service of the Supreme Soul and abide by the instructions of the organization. The parents and guardians also declared their willingness to dedicate their daughters for divine service willingly. The ceremony ended with a beautiful cake cutting followed by dancing and rejoicing.
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शांतिवन के डायमंड हॉल में 210 ब्रह्माकुमारी बहनों का समर्पण समारोह
210 युवा बहनों ने आजीवन लिया समाज सेवा का संकल्प, समर्पण समारोह में समर्पित
बहनों के माता पिता, रिश्तेदार की उपस्थिति में हुआ समर्पण
आबूरोड, 19 जून, निसं। भले ही वर्तमान समय भौतिकता की चकाचौंध से पूरी दुनिया ग्लैमर की ओर भाग रही है। परन्तु समाज में आज भी हजारों ऐसे युवा भाई बहनें है जो आजीवन समाज सेवा की त्याग और तपस्या की मूर्ति की मिसाल हैं। ऐसा ही कुछ नजारा ब्रह्माकुमारीज संस्थान शांतिवन के डायमंड हॉल में आयोजित समर्पण समारोह में देखने को मिला। देश के कोने कोने से आयी लम्बे समय से राजयोगाभ्यासी 210 युवा बहनों ने खुद को आजीवन समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज संस्था की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी ने कहा कि यह बहुत ही भाग्य और गौरव की बात है कि युवा बहनों ने आजीवन मानवता की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने का फैसला किया है। वैसे तो बहुत लोग है जो अपने जीवन को इस मार्ग पर प्रेरित करते हैं। परन्तु खुद का जीवन त्याग और तपस्या की उच्च पराकाष्ठा के साथ जीवन को उदाहरण मूत्र्त बनाकर ईश्वरीय सेवा में समर्पित करते हैं। इन बेटियों ने समाज में एक नया मुकाम हासिल किया है।
कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारीज संस्था के महासचिव बीके निर्वैर ने कहा कि पूरे विश्व में इन बहनों ने मानवता और मानवीय मूल्यों का जो बीज बोया है। वह अपने आप में अनुकरणीय है। आज भले ही माता पिता अपने बच्चों को श्रेष्ठ संस्कार नहीं दे पाते लेकिन इन बहनों ने ईश्वरीय सेवा के जरिए लाखों लोगों की जिन्दगी बदल दी है। एक सच्चे मानव का निर्माण करना सबसे बड़ा पुण्य है।
समारोह में मीडिया प्रभाग के अध्यक्ष बीके करूणा ने बहनों के माता पिता और रिश्तेदारों को बधाई देते हुए कहा कि इनका भी योगदान समाज में अतुलनीय है। कार्यक्रम प्रबन्धिका बीके मुन्नी ने माता पिता तथ बहनों के रिश्तेदारों का स्वागत किया। वहीं दिल्ली से आयी रसिया सेवाकेन्द्रों की प्रभारी बीके चक्रधारी समेत कई लोग उपस्थित थे। इस अवसर पर शांतिवन प्रबन्धक बीके भूपाल, ज्ञानामृत के प्रधान सम्पादक बीके आत्म प्रकाश, ग्लोबल हास्पिटल के चिकित्सा निदेशक डॉ प्रताप मिडढा समेत कई लोगों ने बहनों के इस महान संकल्पों में सफल होने की शुभकामनाएं दी।
केक काटकर दी बधाई: इस अवसर पर दादी तथा संस्था के वरिष्ठ सदस्यों ने केक काटकर बधाई दी। जिसमें समर्पित बहनें भी शरीक हुई।
पीताम्बर वस्त्रों और चुन्नी से सजाया गया: समर्पित होने वाली बहनों को पीताम्बर वस्त्रों और चुन्नी से सजाया गया। इसके साथ ही वे सारी रस्में की गयी जो समर्पित के समय की जाती है। इसके साथ ही फूल और मालाओं से भी उन्हें सजाया गया।
बैंड बाजों से स्वागत: इस अवसर पर बैंड बाजों से भव्स स्वागत किया गया। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ पूरे समय उन्हें बैंड बाजे बजाकर सम्मान दिया गया।
सांस्कृतिक कलाकारों ने बाधा समा: इस अवसर पर देश के कई हिस्सों से आये नन्हें बाल कलाकारों ने समा बांध दिया। जिसमें नृत्य नाटिका से लेकर भांगड़ा और फिर परम्परागत नृत्य भी आयोजित किये गये।
ऐसे होती है समर्पित: सबसे पहले ब्रह्माकुमारीज संस्थान में आने के बाद उनका सात दिन का मेडिटेशन कोर्स होता है। फिर वे संस्थान के नियमों और मर्यादाओं पर चलते हुए राजयोग ध्यान को प्रतिदिन अपने जीवन में धारण करती है। फिर कम से कम पांच साल तक सेवाकेन्द्र पर रहने के बाद उनका समर्पण होता है।
माता-पिता की सहमति जरूरी: ब्रह्माकुमारीज संस्थान में समर्पित होने के लिए माता पिता तथा स्थानीय सेवाकेन्द्र की प्रभारी का सहमति पत्र होना जरूरी होता है। इसके साथ ही समर्पित होने के पूर्व एक फार्म भी भराया जाता है कि हमेशा संस्थान के नियमों का पूर्णतया पालन करेंगे।