Manish Sisodia, Education Minister of Delhi Inaugurates Educators’ Conference on ‘Value Education & Spirituality’

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Delhi: Manish Sisodia, Deputy Chief Minister and Education Minister, Govt of Delhi while inaugurating the Educators Conference on “Raising awareness of the Happiness Index through Value Education and Spirituality, said, “By external resources and conveniences all round, development of students is not possible. The main aim to impart knowledge is not to make them fit for jobs but to prepare them to be Self Reliant, Emotionally and also Professionally. Thereby they may be able to live happily and be able to lend Knowledge, Wisdom, Art and Skill to others. So that they can also live a happy life.”

He further said, “Such Value Education today is very essential in Politics, too. That may inspire the Politicians to see that there is Peace, Goodwill, Unity, Consistency and Progress in the Country….These Values must not be taught as a separate subject in schools and colleges; rather it must be the basis of the Syllabus. For this purpose, without any hesitation, guidance from the services rendered by Institutions like the Brahma Kumaris must be taken for implementation.”

The Educators Conference was organised by the Brahma Kumaris at Harinagar Branch here to enlighten the educators with values and spirituality, its importance, and need of the hour for children at schools and youth in colleges.

Professor Anil Sahasrabudhe, Chairman of the All India Council of Technical Education (AICTE), as a Special Guest said, “Students must study all the subjects with zeal and pleasure but not under compulsion. For this, the atmosphere must be like a family as well as academic. This is possible only when Spirituality and Values are made part of the student life. It is because Joy emerges from within the Self. It doesn’t come from anywhere externally.”

Dr. Shakila Shamshu, Officer on Special Duty, Higher Education Department, HHRD Ministry, Govt. of India said, the “Present day’s Education system is not complete and capable to make us a true Human Being. Human Values are needed to be made a part of the Education and Human life. The Moral Values must not be confined to our planning and lectures but they must be put into practice in daily life by leaders, teachers, well-wishers, children and citizens — everybody.”

BK Mruthyunjaya, Chairperson of the Brahma Kumaris Education Wing from Mount Abu, said, “The purpose of Education is not for information, employment and entertainment only but it is for empowerment and enlightenment as well by which Human life and Society may become healthy, prosperous and progressive.” He further said, “Spiritual Education enhances Self Confidence, Self-Empowerment, Self Esteem and Self Reliance in children and adults alike. Along with that everyone gets their intellect, understanding and efficiency improved to tackle the problems of poverty, corruption, crimes and many other such vices.”

Rajyogini BK Chakradhari, Director of Brahma Kumaris in Delhi and Russia, said, “Man has become selfish and narrow-minded in serving the Society. It is because he fell prey to western culture of materialism and physical pleasure which can be reversed by Indian Spiritual Wisdom, Ancient Values, Rajayog Meditation, Positive, Healthy and Simple Lifestyle. By this we can make the future of our children brighter through giving them Value Education.”

Mr. A P Siddhique, Registrar of Jamia Millia Islamia University, stated that at present children are not receiving any Values to learn from neighbours, well-wishers, teachers or anyone else. It is so because none of us have those Values in ourselves. Teaching Values to children through practical application is the only effective way.

Rajyogini BK Shukla, The Chief Organiser of this event and Director, Brahma Kumaris Centres, Harinagar Delhi Subzone while extending her blessings, said that true Education teaches us tranquility of Mind under all odd circumstances in life. It gives us the knowledge of Truth, Love, Happiness, Compassion, and Mercy, those which are very useful in our life. Happiness and Peace are the original qualities and nature of the Soul bestowed by Supreme God Father who is the Ocean of these Qualities. In order to emerge the Immortal Values in life, one has to accept the method of Rajayoga contemplation of Self and God.

Major Harsh, the Secretary of the National Council of Educational Research and Training (NCERT), said, “Presently we must imbibe our Indian Culture and Values in us and spread it in the Society by campaigning through a disciplined way.”

Dr. Savita Mudgal, Dean of Lal Bahadur Shastri Sanskrit University, presided over the whole function very pleasantly and successfully. Tender children presented lovely spiritual dances and songs that mesmerised the gathering.

In the evening session of the Seminar, Professor Swaminathan, Life Management Trainer  of Mumbai University said that, through Moral Mathematics, Children’s life can be rendered full of Morality. He said, “As Positive and Positive give Positive result, similarly if we do what we are supposed to do, we will always get the Positive result. In the same way Negative and Negative results in again Positive. It means if we don’t do that which we are not supposed to do then also the result becomes Positive. Again, as Positive and Negative give result that is Negative, same way if we do what we are not supposed to do, the consequence goes bad or Negative.” He suggested that such Value Mathematics must be taught to the children.

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‘शिक्षा प्रणाली बच्चों को अपना और अन्य के जीवन सुख से जीने की तरीका सिखाये और वे  शिक्षा भी राजनीति की  हिसा बने’– श्री मनीष शिसोदिया

नई दिल्ली, 3 February: प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के स्थानीय हरि नगर राजयोग केंद्र पर ‘मूल्य शिक्षा और अध्यात्म द्वारा खुसी बढ़ाने’ विषय के उपर शिक्षकों केलिए  एक दिवसीय सम्मेलन सम्पर्ण हुआ ।

दिल्ली के शिक्षा मंत्री श्री मनीष सिसोदिया अपनी उद्घाटन वक्तव्य में कहा की सिर्फ बाहरी संसाधन और सुविधाओं के आधार से विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास संभव नही है। शिक्षा का मूल उद्देश्य है, बच्चों को सिर्फ नौकरी क्षम नही, बल्कि उन्हें  इमोशनल और प्रोफेशनल  आत्म निर्भरशीलता प्रदान करने का है । जिससे वे सुख से जियें और दूसरों को सुख से जीने की विद्या, विवेक, कला और क्षमता हासिल कर लें ।

उन्होंने कहा की, आज राजनीति मे भी ऐसी शिक्षा की आवस्यकता है जो देश में शांति, सदभावना, एकता, अखंडता और विकास को कायम रखने के लिए राजनेताओं को प्रेरित करे ।

उन्होंने  आगे कहा कि मूल्य शिक्षा एक अलग विषय के रूप में न पढ़ाकर, स्कूल और कॉलेजों के सारे पाठ्यक्रम में समावेश किया जाए और इस दिशा में ब्रह्मा कुमारिज जैसी आध्यात्मिक संगठनों का सेवा वे अवस्य लेंगे ।

सम्मानीय वक्ता के रूप में  AICTE के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्रबुधे ने कहा की स्टूडेंट्स को सभी सब्जेक्ट को मजबूरी से नही बल्कि खुसी खुशी से और रुचि से पढ़ने की परिवारिक और अकैडमिक माहौल निर्माण करने की जरूरत है । वे तभी संभव होगा जब अध्यात्म और मूल्यों को सभी विद्यार्थियों के जीवन में जोड़ दिया जाए, कियूंकि खुशी अंदर से उभरती है, बाह्य वातावरण से नही ।

अपनी मुख्य वक्तव्य में ब्रह्मा कुमारी संस्था की दिल्ली तथा रूस में स्थित अनेक राजयोग केंद्रों के निर्देशिका राजयोगिनी बी के चक्रधारी ने कहा कि आज मनुष्य में सेवा भाव समाप्त होकर संकीर्ण स्वार्थ भाव हावी हो गया है । इसका कारण पश्चात भोग वादी और भौतिक वादी अपसंस्कृति का प्रहार है जिसको  हम भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान, सनातन मूल्यों, राजयोग ध्यान, सकारत्मक, स्वस्थ एवं सादा जीवन शैली से तिरोहित करसकते है और मूल्य शिक्षा द्वारा बच्चों का भविष्य उज्जवल बना सकते हैं ।

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के ऊंच शिक्षा विभाग के ऑफीसर ऑन स्पेशल ड्यूटी डॉ शकीला शमशु ने कहा की आज की शिक्षा प्रणाली हमे सच्चा इंसान बनाने केलिए समर्थ और सम्पूर्ण नही है। मानवीय मूल्यों को शिक्षा क्षेत्र और जीवन में जोड़ने की आवस्यकता है। मूल्यों को केवल चिंतन या बोलने तक न सीमित रख कर दैनिक जीवन आचरण और व्यवहार में नेता, शिक्षक, अभिभावक, बच्चों और नागरिकों सभीको उतारना चाहिए ।

माउंट आबू से ब्रह्मा कुमारी संस्था की शिक्षा प्रभाग के अध्यक्ष राजयोगी बी के मृत्युंजय ने कहा कि शिक्षा की उद्देश्य केवल सूचना, रोजगार अथवा मनोरंजन नही है, इसके साथ साथ एम्पावरमेंट और एनलाइटनमेंट भी है जिससे मानव जीवन और समाज स्वस्थ, समृद्ध और प्रगतिशील हो।

उन्होंने कहा की आध्यत्मिक शिक्षा से आत्म विश्वास, आत्म बल, आत्म सम्मान और आत्म निर्भरशिलता बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सब में आती है और गरीबी, भ्रस्टाचार, अपराध और अन्य सभी समस्याओं से निपटने केलिए हर एक को बुद्धि, विवेक और सामर्थी प्राप्त होती है।

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ए पी सिद्दीक़ी ने कहा कि आज की माहौल में अड़ोस-पड़ोस, अभिभावक, शिक्षक आदि कहीं से भी बच्चों को मानवीय मूल्यों की प्राप्ति नही होरही है । इसका कारण यही के हम मूल्यों को जीवन में धारण नही किये है।आचरण से शिक्षा देना ज्यादा कारगर है।

कार्यक्रम के मुख्य संजोजिका राजयोगिनी बी के शुक्ला ने अपनी आशीर्वचन में कहा की सही शिक्षा जीवन के विपरीत परिस्थितियों में संतुलनता शिखाता है । सत्यता, प्रेम, दया, करुणा और सन्तुष्टता रूपी जीवन उपयोगी मूल्यों का समावेश कराता है । सुख और शांति अंतर आत्मा की निजी गुण और स्वभाव है, पिता परमात्मा उन गुणों के सागर है। इन शास्वत मूल्यों को जीवन में उभार ने केलिए आत्म चिंतन और प्रभु चिंतन रूपी राजयोग की विधि को अपनाना होगा ।

इस मौके पर NCERT के सचिव मेजर हर्ष ने कहा की आज हमे अपनी भारतीय संस्कृति और मुल्यों से जुड़ने की आवस्यकता है और इसे पूरे समाज में फेलाने हेतु नियमित रूप से एक  मुहिम चलानी होगी।

लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विश्वविद्यालय के डीन डॉ सविता मुदगल ने कुशल मंच संचालन किया तथा नन्हे मुन्हे बच्चों ने अध्यात्मिक नृत्य गीतों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।

समेलन के अगले सत्र में हैपिनेस इंडेक्स के ऊपर बोलते हुए  मुंबई यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ स्वामीनाथन ने कहा कि मोरल मैथमेटिक्स के द्वारा भी बच्चों के जीवन को मूल्य निष्ठ बनाया जा सकता है । उन्होंने कहा कि जैसे पॉजिटिव पॉजिटिव मिलकर पॉजिटिव होती है, ऐसे जो काम हमे करना चाहिए और वे हम करते हैं तो रिजल्ट पॉजिटिव होती है ।

इसी तेरा नेगेटिव नेगेटिव मिलकर पॉजिटिव होते है अर्थात जो कर्म हमे नही करना चाहिए उसे अगर हम नही करते हैं तब भी रिजल्ट पॉजिटिव होती है । अगर जो नही करना चाहिए वह करते हैं, तो नेगेटिव प्लस पॉजिटिव का रिजल्ट नेगेटिव ही होता है। उन्होंने कहा ऐसी नैतिक गणित की शिक्षा बच्चों को देनी चाहिए।

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