Medical Wing’s 49th Mind-Body-Medicine National Conference Inaugurated

58
हम किसी पैथी के विरोधी नहीं है जो लूट-खसोट करेगा, हम उसके विरोधी हैं: आचार्य बालकृष्ण
मेडिकल विंग के 49वें माइंड-बॉडी-मेडिसिन राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
– देशभर से एक हजार से अधिक आयुर्वेद के डॉक्टर, वैद्य और शोधार्थी ले रहे हैं भाग
– पतंजलि आयुर्वेद के एमडी व सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने किया शुभारंभ

Abu Road (RJ): 
ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मुख्यालय शांतिवन के आनंद सरोवर परिसर में मेडिकल विंग के 49वें माइंड-बॉडी-मेडिसिन तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इसमें देशभर से एक हजार से अधिक आयुर्वेद के डॉक्टर, वैद्य और शोधार्थी भाग ले रहे हैं।
 

शुभारंभ पर हरिद्वार से आए पतंजलि आयुर्वेद के एमडी व सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि हम किसी पैथी के विरोधी नहीं है जो लूट-खसोट करेगा, हम उसके विरोधी हैं, फिर वह चाहे आयुर्वेद वाला ही क्यों न हो। जब एक रोगी हमारे पास आता है तो वह हमें भगवान के भाव से देखता है लेकिन यदि हमारे मन में यदि लूट और पैसे कमाने का भाव होगा तो इससे बड़ा पाप नहीं है। जो सच्चे और ईमानदार चिकित्सक हैं उनके साथ हम सर्वदा खड़े हैं फिर वह किसी भी पैथी के हों। आज लोभ इतना हावी हो गया है कि पहले बीमार किया जाता है फिर इलाज करते हैं। कोरोना के समय डर के कारण हजारों महिलाओं की डिलीवरी नार्मल हो गई है। अब सब सामान्य हो गया है तो फिर से लोगों का धंधा शुरू हो गया है। हम लोगों ने अभी निदान के संदर्भ में 2600 श्लोकों का 18 छंदों में नई ग्रंथ की रचना की है। 1500-1600 वर्ष पूर्व निदान का ग्रंथ था। पहले के निदान के ग्रंथों में 225 के आसपास रोगों का वर्णन है लेकिन हम लोगों ने 500 रोगों का वर्णन किया है।

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि शास्त्र के अनुसार चिकित्सक सही मायने में एक योगी और साधक होता है। आयुर्वेद में नाड़ी वैद्य की बड़ी महिमा है। लेकिन चिकित्सा नाड़ी विज्ञान सीखने के लिए पहले अपने मन का शांत और शक्तिशाली होना जरूरी है। जितना आप अंतर्मुख होंगे तो नाड़ी विद्या को उतना गहराई से समझ पाएंगे। ज्यों-ज्यों हम दुनिया के नॉलेज को लेते जा रहे हैं, अपने नॉलेज से बिमुख होते जा रहे हैं, उस बिमुखता को समाप्त करना का नाम- आध्यात्मिकता है। आध्यात्मिकता कोई खोजने की यात्रा नहीं है जो हम भुला चुके हैं उसे पाने की बात है। हमें अपने अंदर खोजना है। अंतर्यात्रा में जाना ही अध्यात्म है। ब्रह्माकुमारीज़ के मार्ग पर चलने से आपकी वह यात्रा पूरी हो सकती है। आत्मा ज्ञान को देने वाला एक परमात्मा ही है। मनुष्य आत्मा से बलशाली होता है इसलिए वह बड़े-बड़े कार्यों को करने सक्षम है। आत्मयात्रा की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करने रहें। ब्रह्माकुमारीज़ में मनुष्य का सात्विक बनाने का प्रयास किया जाता है। यहां बहुत कुछ सीखने को मिला।

यहां भोजन की पवित्रता पर दिया जाता है ध्यान-
उन्होंने कहा कि यहां आकर मुझे पता चला कि जो ब्रह्माकुमार भाई-बहनें संयमित दिनचर्या और ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं वह यहां भोजन पकाते हैं। इसलिए इस भोजन को करने से सभी का मन भी शुद्ध होता है। साथ ही यहां जो दान आता है उसकी पवित्रता का भी ध्यान रखा जाता है। लोग उपवास में रहते हैं तो कहते हैं कि अन्न नहीं खाना है। लेकिन शास्त्र के अनुसार जो खाया जाए वह अन्न है। हमने अपनी सुविधानुसार व्रत में खाने-पीने की चीजों को जोड़ लिया है। उपवास पेट खाली रखने के लिए होता है। यदि हमारा मन और शरीर स्वस्थ हो जाए तो यहीं बैकुंठ से कम नहीं है। वात-पित्त-कफ में कई भोजन हो सकते हैं।

चरक संहिता में मन और शरीर दोनों का इलाज-
नई दिल्ली से आए आयुष मंत्रालय के सलाहकार डॉ. कौस्तुभ उपाध्याय ने कहा कि जब हम ईश्वर को सर्वोच्च वैद्य मानेंगे तो हम भी वैद्य बन जाएंगे। चरक संहिता को पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कोई आध्यात्मिक किताब पढ़ रहे हैं। आयुर्वेद में न केवल शरीर के रोगों के इलाज के बारे में बताया गया है बल्कि आत्मा और मन के बारे में भी बताया गया है। शरीर और मन दोनों की चिकित्सा साथ-साथ करना होती है। आत्मा के ज्ञान से ही हमन तन और मन दोनों को स्वस्थ रख सकते हैं। ब्रह्माकुमारीज़ में राजयोग मेडिटेशन की शिक्षा दी जाती है, इससे न केवल मन ठीक होता है बल्कि शरीर भी स्वस्थ रहता है। आयुर्वेद कहता है कि जो आपको आवश्यकता है उतना लो बाकी का निषेध करो। जरूरत से ज्यादा का संग्रह करने से बीमारियां जन्म लेती हैं।

अपने शरीर का ध्यान नहीं रखना भी एक अपराध है-
नई दिल्ली के सीसीआरएच के महानिदेशक डॉ. सुभाष कौशिक ने कहा कि यदि हम अपने शरीर का ध्यान नहीं रख रहे हैं तो अपने साथ अपराध कर रहे हैं। मानसिक रोगों के लिए होम्योपैथी में विशेष इलाज उपलब्ध है। होम्योपैथी सिर्फ शरीर का उपचार नहीं करती है बल्कि यह मन और आत्मा की बीमारियों का भी इलाज करती है। सीसीआरएच ने होम्योपैथी को प्रभावी बनाने के लिए कई संस्थानों के साथ कई शोध कार्य किए हैं। ब्रह्माकुमारीज़ ज्ञान और योग द्वारा लोगों को आत्मिक ज्ञान प्रदान करती है। संस्था हृदय के मरीजों के उपचार के लिए अच्छा कार्य कर रही है। एक स्वस्थ इंसान को बनाने में 25 फीसदी योगदान अच्छी सेहत, स्वस्थ शरीर, 25 फीसदी स्वस्थ मन, 25 फीसदी अध्यात्म और 25 फीसदी हमारी भावनाएं होती हैं। इन सभी के संतुलन से ही हम संपूर्ण स्वस्थ माने जाते हैं।

आज 500 से अधिक रिसर्च पेपर पब्लिश हो रहे-
जोधपुर की डीएसआरआरए यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. पीके प्रजापति ने कहा कि हमारे यहां आहार विद्या और ब्रह्मचर्य पर विशेष जोर दिया गया है। हाल ही में एक शोध निकाला गया है कि मेडिकल प्रोफेशन में जीने वाले 60 फीसदी विद्यार्थी और युवा तनाव में जी रहे हैं। आज खुद को खुश रखना, स्वस्थ रखना बड़ी चुनौती है। इन सबका समाधान अध्यात्म में समाया है। आज पश्चिम में तमाम भौतिक संसाधन हैं लेकिन शांति और खुशी की खोज है और यह खोज भारत ही पूरी करेगा। अध्यात्म हमारी धरोहर है। सबकी निगाहें हमारी ओर हैं। आज हमारे योग को विश्वभर के देश कर रहे हैं। निश्चित रूप से एक दिन भारत अध्यात्म के बल से विश्वगुरु बनेगा। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान कई क्षेत्रों में सराहनीय कार्य कर रही है। आयुर्वेद और योग एक-दूसरे के पूरक हैं। आज हमारे आयुर्वेद के इंस्टीट्यूट 500 से अधिक रिसर्च पेपर पब्लिश कर रहे हैं।

परमात्मा करते हैं आत्मा के सभी रोगों का इलाज-
अतिरिक्त महासचिव राजयोगी बीके बृजमोहन भाई ने कहा कि जब आत्मा में अनेक विकृतियां पैदा हो जाती हैं, आत्मा बीमार हो जाती है तो परमपिता शिव परमात्मा आकर आत्मा के सभी रोगों का इलाज करते हैं। आत्मा के सभी प्रकार के रोगों का इलाज श्रीमद्भागवत गीता में उपलब्ध है। परमात्मा कहते हैं कि खुद को आत्मा समझना ही सभी रोगों का इलाज है। मन को मेरे में लगाओ तो आत्मा में आत्मबल, शक्तियां आएंगी और शक्तिशाली बन जाएगी। जब हम सृष्टि पर आए थे तो आत्मा संपूर्ण पावन और पवित्र थी। लेकिन जन्म-मरण में आते-आते विकारों की खाद पड़ गई। अब आत्मा को परमात्मा में लगाने से वह निरोगी और पावन बनेगी। इस तरह यह मृत्युलोक से अमरलोक बन जाएगा। संस्था के कार्यकारी सचिव राजयोगी बीके डॉ. मृत्युंजय, विंग के उपाध्यक्ष डॉ. प्रताप मिड्‌ढा और सचिव डॉ. बनारसी लाल शाह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। दिल्ली की वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके कमला दीदी ने मंच संचालन किया। मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

Previous articleMere Baba-Pyare Baba..
Next articleDadi Prakashmani’s 17th Ascension Anniversary was celebrated as World Brotherhood Day -10,000 people paid floral tribute to Dadi ji