Rajyogini Dr. Dadi Ratanmohini
Administrative Head of the Brahma Kumaris
Dadi Ratan Mohini ji has been brought up in an atmosphere where spiritual leanings had been the watch-word of day-to-day life. The material concerns of life disturbed her while she found solace in spiritual leanings and discourses even at an early age. This noble bent of mind attracted her to the Om Mandali, which was the initial name of the Brahma Kumaris Organisation.
Dadi Ratan Mohini Ji was awarded in 2014 the honorary Degree of Doctor of Philosophy by the Gulburga University, Gulburga (Karnataka) in recognition of her spiritual, moral and social empowerment of youth and women in particular and society in general.
Dadi Ji has created many landmarks and established a few milestones as a Rajyogini and a Brahma Kumari. She represented the organisation at the World Peace Conference in Japan in 1954. In 1985, she organised a national rally ‘Bharat Unity Padyatra’, which was inaugurated by the then President of India, HE Gyani Zail Singh. In 2006 she organised the world’s biggest rally under the banner of ‘Swarnim Bharat Yuva Padyatra’.
True to her name, Dadi Ratan Mohini is a real gem of the Brahma Kumaris Organisation, which continues to chisel and polish the other precious stones with her multifarious services to humanity.
अपने नाम के आध्यात्मिक रहस्य को सार्थक कर सर्व को ज्ञान रत्नों से श्रृंगार करने वाली शतायु डॉ. दादी रतनमोहिनी जी का जन्म अविभाजित भारत के सिन्ध में 25 मार्च 1925 में हुआ था। मानवता के कल्याण की भावना से प्रेरित दादी जी ने ब्रह्माकुमारीज़ संस्था के साकार संस्थापक ब्रह्मा बाबा के सम्पर्क में आते ही 12 वर्ष की अल्पायु में अपना जीवन ईश्वरीय सेवार्थ समर्पित कर दिया। 14 वर्ष तक राजयोग की गहन साधना से दादी जी ने युवावस्था में ही आध्यात्मिक अनुभूतियों के शिखर को स्पर्श कर लिया था। सन् 1950 में ब्रह्माकुमारीज़ संस्था के माउण्ट आबू में स्थापित होने के बाद दादी जी ईश्वरीय ज्ञान को एक प्रखर प्रवक्ता के रूप में जनमानस में प्रसारित करने के महान कार्य में संलग्न हो गई। संस्था की प्रतिनिधि के रूप में आपने सन् 1954 में जापान में आयोजित ‘वर्ल्ड रिलिजन कांग्रेस’ में भाग लिया तथा एक वर्ष तक सिंगापुर, मलेशिया, हांगकांग और एशिया के विभिन्न भागों में अपने प्रवचनों से विश्व परिवर्तन के महान कार्य को तीव्र गति प्रदान किया।
सन् 1972 से 1974 तक इंग्लैण्ड में ईश्वरीय सेवा करके ब्रह्माकुमारीज़ के विदेश में सर्वप्रथम ईश्वरीय सेवाकेन्द्र को स्थापित करने का श्रेय दादी जी को प्राप्त है। आध्यात्मिकता एवं नैतिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने वाली दादी जी ने युवाओं को सदैव एक बेहतर विश्व के नव-निर्माण के लिए प्रेरित किया है। दादी जी के मार्गदर्शन में सन् 1985 में ‘भारत एकता युवा पदयात्रा’ तथा 2006 में निकाली गयी ‘स्वर्णिम भारत युवा पदयात्रा’ को विश्व की सबसे बड़ी पदयात्रा के रूप में अधिकारिक मान्यता प्राप्त है। ब्रह्माकुमारीज़ संस्था की राजयोग शिक्षिका बहनों के प्रशिक्षण के निर्देशक का दायित्व निर्वहन करने वाली दादी जी ने दृढ़ संकल्पित ब्रह्माकुमारी बहनों का एक विशाल कारवां तैयार किया है, जो विश्व परिवर्तन के पथ पर निरंतर गतिमान है। दादी जी द्वारा मानवता के लिए की गई सेवाओं का सम्मान करते हुए गुलबर्गा विश्व विद्यालय ने सन् 2014 में डॉक्टर ऑफ़ फिलोसॉफी की मानद उपाधि से सम्मानित किया है।