ब्रह्माकुमारीज़ की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी की तृतीय पुण्यतिथि पर देशभर से आए लोगों ने अर्पित की पुष्पांजली

68
दादी का जीवन दिव्यता, पवित्रता और सादगी की मिसाल था: राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी
ब्रह्माकुमारीज़ की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी की तृतीय पुण्यतिथि पर देशभर से आएलोगों ने अर्पित की पुष्पांजली अलसुबह से रात तक चली योग-साधना
आबू  रोड/राजस्थान। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी (गुलजार दादी) की तृतीय पुण्यतिथि सोमवार को दिव्यता दिवस के रूप में मनाई गई। दादी की याद में बने अव्यक्त लोक पर मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मोहिनी दीदी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मुन्नी दीदी व अन्य वरिष्ठ भाई-बहनों ने पुष्पांजली अर्पित की। इसके बाद देशभर से आए लोगों ने पुष्पांजली अर्पित कर दादी की शिक्षाओं को याद किया। अलसुबह से लेकर रात तक विशेष योग-तपस्या को दौर जारी रहा।
डायमंड हाल में आयोजित कार्यक्रम में राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने कहा कि दादी का जीवन दिव्यता, पवित्रता और सादगी की मिसाल था। दादी को बचपन से विशेष दिव्य दृष्टि का वरदान प्राप्त था। दादी ने बचपन से लेकर जीवन की आखिरी सांस मानव सेवा, विश्व कल्याण और परमात्म संदेश को जन-जन तक पहुंचाने में लगा दी।

बचपन से था शांत और गंभीर स्वभाव-
अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मोहिनी दीदी ने कहा कि दादीजी का स्वभाव बचपन से ही शांत और गंभीर था। वह योग की प्रतिमूर्ति थीं। वह दिन-रात योग में ही मग्न रहती थीं। उन्होंने खुद को योग-तपस्या से इतना मजबूत, सशक्त और शक्तिशाली बना लिया था कि उन्हें बीमारी में दर्द का अहसास नहीं होता था। दादीजी को बचपन में ही वरदान मिल गया था कि वह यह बच्ची आगे चलकर लाखों लोगों के जीवन को बदलने के निमित्त बनेंगी। दादीजी के जीवन का मूलमंत्र था कि पवित्रता और सादगी जीवन का सर्वश्रेष्ठ शृंगार है। खुद को बहुत भाग्यशाली समझती हूं कि मुझे दादीजी के साथ रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। ऐसी दिव्य आत्माएं खुद के साथ अनेकों के जीवन को बदलने के निमित्त बनती हैं।

50 साल तक निभाई संदेशवाहक की भूमिका-
महासचिव बीके निर्वैर भाई ने कहा कि  दादीजी को दिव्य बुद्धि का वरदान मिला हुआ था। उन्होंने 50 साल तक लाखों लोगों को परमात्म संदेशवाहक बनकर ईश्वरीय अनुभूति कराई। दादी का जीवन आदर्श जीवन था। उन्होंने अपने जीवन से लाखों लोगों को प्रेरणा दी। अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने कहा कि दादी की शिक्षाएं आज भी हम सभी का मार्गदर्शन करती हैं। उन्होंने अपने श्रेष्ठ, दिव्य और महान कर्मों से जो लकीर खींची है वह आज भी हमारे लिए प्रेरणा देती है। संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि दादीजी का पूरा जीवन ही मिसाल था। वह अपने कर्मों से शिक्षा देती थीं। इस मौके पर संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके स्वदेश दीदी, मीडिया निदेशक बीके करुणा, गुरुग्राम आेआरसी की निदेशिका बीके आशा दीदी, दिल्ली की बीके पुष्पा दीदी  सहित अन्य वरिष्ठ भाई-बहनों ने भी अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।

एक साल रहीं मुख्य प्रशासिका-
बता दें कि राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी का 11 मार्च 2021 को देवलोकगमन हो गया था। उनकी याद में बने अव्यक्त लोक में उनके जीवन की शिक्षाओं को अंकित किया गया है। 27 मार्च 2020 में ब्रह्माकुमारीज़ की मुखिया राजयोगिनी दादी जानकी के महाप्रयाण के बाद राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी मुख्य प्रशासिका बनीं थीं। दादी हृदयमोहिनी को सभी प्यार से गुलजार दादी भी कहते थे।

वर्ष 1928 में कराची में हुआ था जन्म-
दादी हृदयमोहिनी के बचपन का नाम शोभा था। आपका जन्म वर्ष 1928 में कराची में हुआ था। आप जब 8 वर्ष की थी तब संस्था के साकार संस्थापक ब्रह्मा बाबा द्वारा खोले गए ओम निवास बोर्डिंग स्कूल में दाखिला लिया। यहां आपने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की। स्कूल में बाबा और मम्मा (संस्थान की प्रथम मुख्य प्रशासिका) के स्नेह, प्यार और दुलार से प्रभावित होकर अपना जीवन उनके समान बनाने की निश्चय किया। आपकी लौकिक मां भक्ति भाव से परिपूर्ण थीं।

मात्र चौथी कक्षा तक की थी पढ़ाई-
दादी हृदयमोहिनी ने मात्र चौथी कक्षा तक ही पढ़ाई की थी। लेकिन तीक्ष्ण बुद्धि होने से आप जब भी ध्यान में बैठतीं तो शुरुआत के समय से ही दिव्य अनुभूतियां होने लगीं। यहां तक कि आपको कई बार ध्यान के दौरान दिव्य आत्माओं के साक्षात्कार हुए, जिनका जिक्र उन्होंने ध्यान के बाद ब्रह्मा बाबा और अपनी साथी बहनों से भी किया।  दादी हृदयमोहिनी की सबसे बड़ी विशेषता थी उनका गंभीर व्यक्तित्व। बचपन में जहां अन्य बच्चे स्कूल में शरारतें करते और खेल-कूद में दिलचस्पी के साथ भाग लेते थे, वहीं आप गहन चिंतन की मुद्रा में हमेशा रहतीं।
कार्यक्रम में देशभर से आए बड़ी संख्या में लौग मौजूद रहे।

Previous articleMedia conference and inauguration of 3D Rajyoga Meditation Hall at Shivdarshan Museum, Dhamangaon Gadhi
Next articleSaoner (Mah.) Centre organized a Ge-together for Journalists