“Balance Between Spirituality and Modernity” Event in Raipur

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Raipur (CG): On the occasion of International Women’s Day,  Brahma Kumaris held a program on ‘ Women’s Spiritual Awareness’ at Shanti Sarovar.

BK Kamla, Incharge of the Raipur Brahma Kumaris service center,  while talking on the topic ‘Balance Between Spirituality and Moderenity‘ said that real women Empowerment can happen not with science but with spirituality.  Earlier women were used to suppressing their desires, but today they are fulfilling all their dreams.  Spirituality is a  must to survive in the problems filled world of today. It brings humility,  forbearance and love. Today’s woman has made great strides economically but is lagging behind in spirituality.

Dr. Aruna Palta, Vice Chancellor of Hemchand Yadav University said that women are no less than men in any way. They can achieve whatever they wish for. For a good society,  a balance between spirituality and modernity should be there. For spiritual progress,  we need to learn how to listen to our inner voice.

Dr. Abha Singh, Dean, Pandit Jwaharlal Nehru Medical University,  said that being a woman physician, she  has an opportunity to understand them from near. Influence of western civilization has taken focus away from spirituality.

BK Aditi, Rajyoga Teacher,  said that women should strive to achieve a balance between spirituality and modernity.

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आधुनिकता से नहीं अपितु अध्यात्म से होगा महिला सशक्तिकरण…ब्रह्माकुमारी कमला दीदी

रायपुर: ब्रह्माकुमारी संगठन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी कमला दीदी ने कहा कि महिला सशक्तिकरण आधुनिकता से नहीं अपितु अध्यात्म से होगा । हम आधुनिकता में इतना न रम जाएं कि अपनी संस्कृति को ही भुल जाएं।

कमला दीदी अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शान्ति सरोवर में आयोजित महिला जागृति आध्यात्मिक सम्मेलन में बोल रही थीं। विषय था -आधुनिकता और आध्यात्मिकता का सन्तुलन। उन्होंने बतलाया कि पहले महिलाएं अपनी इच्छाओं को दबाकर रखती थीं लेकिन आज वह पुरूषों की तरह ही हर काम कर सकती हैं।

उन्होंने बतलाया कि वर्तमान समय संसार में समस्याओं की भरमार है इसलिए ऐसे समाज में रहने के लिए जीवन में आध्यात्मिकता का होना जरूरी है। इससे जीवन में सहनशीलता, नम्रता, मधुरता आदि दैवी गुण आते हैं। उन्होंने कहा कि आदि काल में जब महिला आध्यात्मिक शक्ति से सम्पन्न थी तब दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती आदि रूपों में उसकी पूजा होती थी। किन्तु आज की नारी अध्यात्म से दूर होने के फलस्वरूप पूज्यनीय नही रही। भौतिक दृष्टिï से नारी ने बहुत तरक्की की है किन्तु आध्यात्मिकता से वह दूर हो गई है। वर्तमान समय महिलाओं में आध्यात्मिक जागृति की बहुत आवश्यकता है।

हेमचन्द यादव विश्वविद्यालय दुर्ग की कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा ने कहा कि महिलाएं किसी भी परिस्थिति में पुरूषों से कम नहीं हैं। महिलाएं परिवार की धूरी होती हैं। वह यदि ठान लें तो अरूणिमा सिन्हा की तरह पैर कटा हुआ होने के बावजूद एवरेस्ट पर्वत पर चढ़ सकती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि न हमें पुरूषों से आगे जाना है और न ही प्रताडि़त हेना है। हमें अपने स्तर पर जीना है। समाज में रहना है तो आधुनिकता और आध्यात्मिकता दोनों का सन्तुलन रखकर चलना होगा। जीवन में आगे बढऩे के लिए दोनों का सन्तुलन जरूरी है। जिस दिन हम अपनी आत्मा की आवाज सुनना बन्द कर देते हैं, उस दिन हमारे जीवन से आध्यात्मिकता खत्म हो जाती है।

पं. जवाहर लाल नेहरू शा. चिकित्सा महाविद्यालय की डीन डॉ. आभा सिंह ने कहा कि महिला चिकित्सक होने के कारण उन्हें महिलाओं को नजदीक से देखने का अवसर मिलता है। लोग आधुनिकता की अन्धी दौड़ में व्यस्त हैं। मेरा मानना है कि पाश्चात्य सभ्यता से हमारी संस्कृति नष्ट हो रही है। पहले जमाने में जब संयुक्त परिवार होता था तो दादा-दादी और नाना-नानी बच्चों को कहानियाँ सुनाया करते थे। जिसके माध्यम से बच्चों को नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा मिल जाती थी। अब लोगों के पास बच्चों के लिए समय ही नहीं है, सब लोग टेलिविजन में व्यस्त हो जाते हैं। जीवन में भौतिक सुख-साधन के साथ ही आध्यात्मिकता भी जरूरी है।

राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी अदिति बहन ने कहा कि महिलाओं को पाश्चात्य संस्कृति का अन्धानुकरण नहीं करना चाहिए बल्कि अपने जीवन में भौतिकता और आध्यात्मिकता का सन्तुलन बनाकर चलना चाहिए। स्वतंत्रता का मतलब स्वच्छंदता नहीं है। रूढि़वादी सोच को बदले तो हर नारी आधुनिक बन सकती है।

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